एक जुलाई १९९९ को प्रतिकल्पा सांस्कृतिक संस्था कि स्थापना कि गयी । इसका प्रमुख उद्देश्यसंगीत , नृत्य तथा पारम्परिक कलाओ कि विभिन्न विधाओ का सुव्यवस्थित प्रशिक्षण प्रदान करना तथा इन कलाओ से जुड़े कलाकारो को स्थानीय तथा प्रदेश स्तर पर गरिमापूर्ण मंच पर लाकर उनकी संस्कारवान पीढी तैयार करना है । संस्था प्रशिक्षण देने के साथ ही शास्त्रीय तथा लोककलाओं कि अन्य विधाओ के प्रस्तुतीकरण, शास्त्रीय संगीत, लोकनृत्य ओर संगीत से जुडी विविधवर्णी गतिविधिया तथा मंच प्रदर्शन, लेक्चर डिमास्ट्रेशन, शोध , संगोसिठिया तथा परिचर्चा के साथ संगीत एवं नृत्य विषयक पुस्तको को संगृहीत क्र पुस्तकालय कि स्थापना अदि कार्य सम्मिलित है । संस्था द्वारा विगत १४ वर्षो से लगभग २३०० विधार्थीयो को प्रशिक्षण दिया गया है ।तथा प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद द्वारा संचलित नृत्य एवं संगीत कि वार्षिक परीक्षाओ के अंतर्गत लगभग ७०० विधार्थी शास्त्रीय नृत्य एवं संगीत में डिप्लोमा एवं डिग्री प्राप्त कर चुके है । संस्था के अनेकविधार्थी इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविधालय, खेरागढ़ तथा महाराजा मानसिंग तोमर संगीत तथा कला विश्वविधालय, ग्वालियर से भी एम. ए. व् एम. म्यूज़ कि उपाधि प्राप्त क्र चुके है। संस्था के कलाकार भारत के अनेक प्रतिस्ठित समारोहो में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके है। आज प्रतिकल्पा म. प्र. कि सुविख्यात सांस्कृतिक संस्थाओ में से एक है।